Vakrokti aura abhivyañjanāJñānamaṇḍala, 1951 - 235 pagine |
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... कहते हैं । आलम्बन विशेषके प्रति होनेवाली आश्रयकी यह भावात्मक वृत्ति जब इतनी पुष्ट हो जाती है कि प्रत्येक साक्षात्कार के समय उस ...
... कहते हैं । आलम्बन विशेषके प्रति होनेवाली आश्रयकी यह भावात्मक वृत्ति जब इतनी पुष्ट हो जाती है कि प्रत्येक साक्षात्कार के समय उस ...
Pagina 64
... कहने से दो पक्ष उपस्थित होते हैं , —स्वशब्दनिवेदित्व तथा ... कहते थे कि “ ध्यान कोई पदार्थ नहीं है , क्योंकि काव्यका प्रधान ...
... कहने से दो पक्ष उपस्थित होते हैं , —स्वशब्दनिवेदित्व तथा ... कहते थे कि “ ध्यान कोई पदार्थ नहीं है , क्योंकि काव्यका प्रधान ...
Pagina 206
... कहते हैं । शब्दब्रह्म नित्य है । इससे कुछ लोगों को भ्रम हो गया है १ परिवर्तनशीलताकी उपेक्षा करते हैं । कहना नहीं होगा कि कि वैयाकरण ...
... कहते हैं । शब्दब्रह्म नित्य है । इससे कुछ लोगों को भ्रम हो गया है १ परिवर्तनशीलताकी उपेक्षा करते हैं । कहना नहीं होगा कि कि वैयाकरण ...
Parole e frasi comuni
अतः अथवा अनुसार अन्य अपनी अपने अभिव्यञ्जना अर्थ अर्थात् अलङ्कार आदि इन इस इस प्रकार इसका इसी इसीसे उक्त उनका उनके उन्होंने उस उसका उसके उसी उसे एक एवं कर करता है करते हैं कला कल्पना कहते कहा का कारण काव्य काव्यके किन्तु किया है किसी की कुछ के केवल को कोई क्योंकि क्रोचे क्रोचेके गया है गयी गुण चाहिये जब जा जाता है जाती जिस जैसे जो ज्ञान टि तथा तो था थी थे दिया दृष्टि दो द्वारा नहीं नहीं है पर परन्तु पृ० प्रकार प्रथम फिर बात भारतीय भी मानते हैं मानस माना में यदि यह यह है कि यही या ये रस रूप रूपमें वक्रोक्ति वह वही विचार विशेष विषय वे व्यापार शब्द सकता है सकती समय सम्बन्ध साथ सामान्य साहित्य सिद्धान्त से स्थिति स्वयम्प्रकाश्य स्वीकार हम ही हुआ हुई हुए है और है कि हो सकता होकर होता है होती होते हैं