Hindī meṃ śabdālaṅkāra-vivecanaHindī Anusandhāna Parishad ke Nimitta Aśoka Prakāśana, 1969 - 368 pagine |
Parole e frasi comuni
अतः अनुप्रास अनुप्रास के अनेक अन्त्यानुप्रास अपने अर्थ अर्थालंकार अलंकार अलंकार के अलंकारों आचार्य आचार्यों आदि आधार आवृत्ति इन इनके इन्होंने इस इसका इसके इसमें इसी इसे उत्तर उदाहरण उभयालंकार एक कर करने कवि का लक्षण का विवेचन किया कारण काव्य काव्यशास्त्र काशिराज किन्तु किसी की के के लिये केवल केशव को कोई गया है चित्र चित्रालंकार छंद छेकानुप्रास जहाँ जाता है जो डा० तथा तीन तुक तो दिया दिये हैं दो भेद दोनों दोहा द्वारा नहीं किया नहीं है ने पद पर पुनरुक्तवदाभास पृष्ठ प्रथम प्रयोग प्रहेलिका प्राचार्य प्राचार्यों फिर बार भिखारीदास भिन्न भी भेद भेद किये भेदों भोज मम्मट माना है माने हैं मिलता है मिश्र में भी यमक यमक के यह या ये रसाल रूप लक्षण लाटानुप्रास वक्रोक्ति वर्गीकरण वर्ण वर्णों वहाँ वही विवेचन किया है वीप्सा वृत्यनुप्रास शब्द शब्दालंकार शब्दों श्लेष संस्कृत से सो स्पष्ट हिन्दी में ही हुआ है और हो होता है होती